लेखनी प्रतियोगिता -06-Jun-2022 - समरसता
एक सा भाव रहे जब मन का,
माटी में मिलने वाले तन का।
सुख दुख हो या कोई स्थिति,
समरसता रहे मन में हर परिस्थिति।
खुशी में वादा कोई करना नहीं,
गम में फैसला कोई लेना नहीं।
नेह के जो बंधे हुए धागे रिश्तो में,
डोर पकड़ना वह तुम नहीं किश्तों में।
अमन चैन रहे समाज में चारों तरफ,
जमने ना देना सद्भावो पर अपने बरफ।
समरसता का है केवल समीकरण एक,
जीवन पथ पर बढ़ते जाते हैं लोग नेक।
ईश्वर ने दी जो ये सौगात जीवन की,
भावनाएं सबकी एक इस अंतर्मन की।
नदिया जैसी सागर में यहां मिल जाए,
समरसता के सोपान भी यहां खिल जाए।
धरा और नभ तो कभी मिल नहीं पाते,
देख दोनों पर एक दूजे को खुश हो जाते।
जमाना चाहे बदल जाए कितना भी,
समरसता से चढ़ जाए शिखर जितना भी।
उन्नति तभी जीवन में होगी हमारी,
मानवता के हित से भरेगी गागर हमारी।।
दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Kaushalya Rani
08-Jun-2022 05:20 PM
Nice
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Joseph Davis
07-Jun-2022 11:06 PM
Nyc
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Reyaan
07-Jun-2022 08:23 PM
बहुत खूब
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